Saturday, December 26, 2020

हिन्दुत्त्व का पतन का कारण

क्या हम हिन्दू ही हिंदुस्तान को इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं? 

क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर बहुत से पोस्ट पढ़कर ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। 

मैं हिन्दू धर्म के अनुयायियों एवं धमर्गुरुओ और धर्म के तथाकथित ठेकेदारों से यह प्रश्न करना चाहता हूँ।

विश्व में ईसाइयो के 80 देश और मुस्लिमों के 56 देश हैं,लेकिन सबसे पुरानी सनातन सभ्यता वाले हिंदुओं का देश क्या सिर्फ एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बन कर नही रह गया है? 

क्या हिंदू अपने हित की बात कहे तो वो सांप्रदायिक और अगर कोई मुस्लिम तुष्टिकरण करे तो वो धर्मनिरपेक्ष हैं ?

क्या यह धर्मनिरपेक्षता का मात्र दिखावा ही नही है, कि एक खास धर्म का वोटबैंक हासिल करने के लिये देश की सबसे पुरानी पार्टी खुलेआम निकल पड़ी है, राजनीति के बाजार में, लेकिन हिंदू हितों की बात करने वाला कोई भी नहीं है हमारे देश में?

मेरा अपना मनना है अब भी जो हिंदू इस घमण्ड में जी रहे हैं कि प्राचीन काल से सनातन धर्म है, और इसे कोई मिटा नहीं सकता, तो इस गलतफहमी से जितना जल्दी हो सके निकल जायें, क्योंकि वोटबैंक के लिये सभी राजनीतिक दलों ने हिंदुओं का ही सदैव शोषण किया है, और अभी भी कर रहे हैं।

ऐसी परिस्थिति में क्या हम हिंदुओं को भी एक जुट होकर एक झंडे के नीचे आ जाना चाहिये?

हमें मिलकर इसी मुद्दे को राजनीतिक दलों के समक्ष में उठाना होगा कि भारत हिंदू राष्ट्र कब बनेगा? 

तभी राजनीतिक दलों को इस दिशा में सोचने पर मजबूर कर सकेंगे। 
हम हिंदुओं को भी जाति पाति का भेद मिटाकर एक हिन्दू वोट बैंक बनना होगा तभी हम अपनी मांग पूरी करवा सकेंगे। 
NOTA दबाकर या मोदी का विरोध करके तो कभी हिन्दू सशक्त हो सकते होते तो कब के हो गए होते। 

क्योंकि जैसी भी हो लेकिन वर्तमान परिदृश्य में भाजपा ही एक मात्र पार्टी है, जो हिंदुओं का अस्तित्व बचा पायेगी ऐसा दिखता है,और मोदी जी ही वो प्रधानमंत्री हैं जो हिंदू विरोधी ताकतों से निपट पाने में सक्षम प्रतीत होते हैं। 

यदि आपको मेरे बातों पर विश्वास नहीं होता कि हिंदु किस तरह पूरे संसार और देश में घट रहे हैं तो जरा इन आंकड़ों पर नज़र डालिये या इंटरनेट पर देख लीजिए।

पाकिस्तान-3 % हिंदू।
बांग्लादेश -8 % हिंदू।
अफगानिस्तान से हिंदु मिट गये।
काबुल जिसे श्रीराम के पुत्र कुश ने बसाया था वहां एक भी मंदिर नहीं, गांधार जहां की रानी गंधारी थीं, उसका नाम अब कंधार है और वहां एक भी हिंदू नहीं पाया जाता है।

कम्बोडिया जहां राजा सूर्यदेव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा अंकोरवाट मंदिर बनवाया वहां एक भी हिंदू का अवषेष भी नहीं बचा है।

बालीद्वीप में 20 - 25 साल पहले 90% हिंदू थे लेकिन आज सिर्फ 20 % बचे हैं।

कश्मीर घाटी में 20 साल पहले 50% हिंदू थे लेकिन आज नाम मात्र हिंदू वहां बचे हैं।

केरल में 10 साल पहले हिंदुओं की आबादी 60% थी लेकिन वहां अब मात्र 10 % हिंदू बचे हैं।

नॉर्थ इस्ट जैसे सिक्किम,नागालैंड,आसाम और पश्चिम बंगाल का हाल आपमें से किसी से छिपा नहीं है। 

यदि हम हिंदुओं को यदि अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी हिन्दू ही बने रहना देखना है, तो हम एकजुट होना ही होगा अन्यथा भविष्य में हिंदू शब्द मात्र पुस्तकों में ही पाए जा सकेंगे, कि हिन्दू नाम की प्रजाति भी कभी इस देश में थी।

यह मेरी अपनी विचारधारा है, यदि आप लोगों के मस्तिष्क में हिंदुओं की सुरक्षा और अखंडता का और भी कोई उत्तम विकल्प हो तो कृपया अपने विचारों को प्रस्तुत करने की कृपा करें। धन्यवाद।