Sunday, November 29, 2020

अखंड हिंदुस्तान

बिखरे हैं यहाँ मोती, माला बनाए कौन।
नफरत की आंधीयों मे, दीपक जालाए कौन।। 

यादव कोई, दलित कोई, पंडित, कोई कहार।
इस जात पात ने किया हिन्दुत्व पर प्रहार।। 

सिख, है कोई मलयाली, गुजरात का कोई। 
झगड़ा कोई भाषा का, क्षेत्रवाद का कोई।।

हम भूल गए उसको, जननी जो हमारी है।
हम सब हैं लाल इसके, ये मात हमारी है।।

हम हिन्दू, हम हिन्दुस्तानी, धर्म सनातन एक।
एक डाल के हम सब पंछी, यही घरौंदा नेक।।

राष्ट्र धर्म की रक्षा मे, दुश्मन के शीश कुचल देंगे।
इतिहास की हस्ती क्या है, हम सब तो भूगोल बदल देंगे।। 

हिन्दू प्रचंड हों हिंदुस्तान अखंड हो, अब नारा यही हमारा है।
हम हिन्दू हैं, हम हिन्दी हैं और हिंदुस्तान हमारा है।।