एक बात पानी से सीखी जा सकती है ; छोटी छोटी नदियाँ शोर मचाती हैं परन्तु महासागर शांत रहता है।
जो वेद और शास्त्र के ग्रंथों को याद कर लेता है , किंतु उनके यथार्थ तत्व को नहीं समझता, उसका वह याद रखना व्यर्थ है।
जो बाहर की सुनता है बिखर जाता है, जो अपने अंदर की सुनता है सवर जाता है, और आध्यात्मिकता अंदर से आती है। –
जिस दिन हमारा मन परमात्मा को याद करने, और उसमे दिलचस्पी लेना शुरू कर देता है उसी दिन से हमारी परेशानियाँ भी हम में दिलचस्पी लेना बंद कर देती हैं। इंसान बुरा तब बनता है जब वो खुद को दूसरों से ज्यादा अच्छा मानने लग जाता है। इंसान बुरा तब बनता है जब वो खुद को दूसरों से ज्यादा अच्छा मानने लग जाता है। हमें यह कभी नहीं देखता चहियड कि हमने कितना एच् अच्छा क्या किया गया है; बल्कि हमें केवल यह देखना चहियड हूं कि और क्या अच्छा किया जाना बाकी है, और हम और कितना अच्छा कर सकते हैं।