Sunday, September 13, 2015

लक्ष्यविहीन जीवन जीने का क्या फायदा ?

माननीय मित्रों आज अचानक मेरे मन में एक ख्याल आया की आदमी पैदा होता है और आदमी मर जाता है, उसके साज़-सामान, महल, स्मारक , सपने सब टूट-फूट जाते हैं, परन्तु कीर्ति ऐसी वस्तु है जो युगों तक जीवित रहती है ...
जिसने सर्वस्व देकर यश कमाया, उसने बहुत अच्छा व्यापार किया टूटी - फूटी झोपड़ी को बेचकर एक पक्का मकान खरीद लेना बुद्धिमानी है .. वे महान आत्मा हैं, जो अपना जीवन उज्जवल कीर्ति कमाने में लगाते हैं .....
उन अभागों के पैदा होने से क्या लाभ, जो जीवन भर पेट भरते रहे और अंत में कुत्तों की मौत मर गए ..
जिन्हें अपने भविष्य की चिंता नहीं और स्वार्थ की परिधि से आगे कुछ नहीं देख सकते, वे मुर्दे हैं, भले ही वे सांस लेते, खाते-पीते और चलते फिरते दिखाई देते हों...
मूर्ख लोग धन जमा करके रख जाते हैं, ताकि पीछे वाले चंद लोग खाएं और खुश रहें .. कितना अच्छा होता यदि वे अपने सामने ही सत्कर्मों में उसे लगाते ताकि वह श्रेष्ठ भूमि में उगता और अपनी छाया में असंख्य प्राणियों को शान्ति देता .. ..
बेवक़ूफ़ उसे कहते हैं जो फायदे की चीज़ को फेंक देता है, और हानि करने वाली वस्तुओं को अपनाता है ... जो कड़वी और अनर्गल बातें अपनी जिव्हा से बकते हैं, उन्हें बेवकूफ के अलावा और क्या कहा जाए ? कोई आदमी कितना ही पढ़ा-लिखा और चतुर क्यों हो,यदि वह भलाई को छोड़कर बुराई अपनाता है, तो उसे पहले सिरे का मूर्ख समझना चाहिए..... 

अतः मैंने अंत में यह निर्णय किया की मैं मूर्ख कहलवाने की बजाय अपने दिमाग में आये इन विचारों को जीवन में आत्मसात करके इनका अनुशरण करूँ...देखिये जिन महापुरुषों ने कुछ भी मानवता के हित में अच्छा किया है , क्या हम या हमारी आने वाली पीढ़ी भूल पायेगी .. यह भी ध्यान देने लायक है की जिन्होंने मानवता के लिए कुछ नहीं किया सिर्फ पैदा हुए , कमाए खाए और मर गए क्या वो हमें याद हैं... उन्हें याद रखना संभव ही नहीं है .. कैसे याद किया जाय उन्हें और क्यों ? अगली पीढ़ी के सामने भी यही सवाल होगा की हमने क्या किया और क्यों याद किये जाएँ .. मैंने तो निश्चय कर लिया है की मैं तो कुछ ऐसा करूँगा जिससे मुझे अगली पीढ़ी याद रखे ? आप लोगों की आप जाने .. इसे आप मेरा स्वार्थ समझें या कुछ और लेकिन मुझे लग रहा है, की अगर हमें अगली पीढ़ी को कुछ बताना है, तो उदहारण नहीं उदाहरण स्वरूप बनना होगा....हाँ अगर आप लोगों का भी सहयोग मिल जाय तो आनंद जाए .. मेरा मानना है , की जहां चाह होगी वहाँ राह मिल ही जायेगी , क्योंकि यह प्रकृति का नियम है की आवश्यकता आविष्कार की जननी है.. लक्ष्यविहीन जीवन जीने का भी क्या फायदा ..ऐसे जीवन का क्या लाभ जो राष्ट्र , धर्मं और मानवता के काम आये ... अंत में सिर्फ इतना कहूंगा की आप लोगों से विनम्र निवेदन है की इस विषय पर चिंतन जरुर कीजियेगा , अगर अच्छा लगे तो आत्मसात कीजियेगा और अच्छा लगे तो परित्याग कर दीजियेगा , अपनी - अपनी मर्जी है , प्रणाम ..